पैतृक संपत्ति के बंटवारे का खर्च यूपी में हुआ आधा, जानें नए नियम और राहत
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यूपी पैतृक संपत्ति बंटवारा: खर्च आधा, नई कानूनी राहत
उत्तर प्रदेश सरकार ने पैतृक संपत्ति के बंटवारे को लेकर नया ऐतिहासिक फैसला किया है। अब बंटवारे की लिखा-पढ़ी, रजिस्ट्री और स्टांप शुल्क प्रक्रिया बेहद आसान और सस्ती हो गई है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से लाखों परिवारों को बड़ा राहत मिलना तय है।
क्या है नया फैसला और राहत?
अब यूपी में पैतृक संपत्ति के बंटवारे पर स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन पर कुल खर्च अधिकतम 10,000 रुपये तय किया गया है। इसमें 5,000 रुपये स्टांप शुल्क और 5,000 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क शामिल है। पहले यही खर्च परिवार को पूरी संपत्ति के मूल्य के 5% तक देना पड़ता था, जिससे लाखों रुपये देने पड़ते थे।
बदलाव क्यों हुआ?
पहले अधिक शुल्क होने के कारण परिवारों में पारिवारिक बंटवारे की रजिस्ट्री नहीं होती थी। इस वजह से संपत्ति का कानूनी बंटवारा नहीं हो पाता और विवाद, मुकदमेबाजी, कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगते रहते थे। नए नियम से यह बोझ अब काफी हद तक कम हो जायेगा और परिवारों के बीच मतभेद भी घटेंगे.
किसे मिलेगा नया लाभ?
सिर्फ तीन पीढ़ियों के पारिवारिक सदस्यों के बीच पैतृक अचल संपत्ति के बंटवारे का लाभ
बंटवारा सिर्फ घर, भूमि, दुकान जैसी संपत्तियों तक सीमित
फर्म, कंपनी, ट्रस्ट की संपत्ति को छूट नहीं
लाभ पाने के लिए कुटुंब रजिस्टर देना होगा, जिसमें तीन पीढ़ियों का उल्लेख जरूरी.
प्रक्रिया क्या होगी?
रजिस्ट्री कार्यालय में आवेदन करें
कुटुंब रजिस्टर और संपत्ति का दस्तावेज़ प्रस्तुत करें
सभी हितधारकों की जानकारी और कानूनी हिस्सेदारी दर्शाएँ
अधिकतम 10,000 रुपये में रजिस्ट्री पूरी
रजिस्ट्री और बंटवारे का दस्तावेज़ मिल जाने के बाद विवाद की संभावना समाप्त
सरकार द्वारा ई-रजिस्ट्री (ऑनलाइन) की सुविधा भी दी गई है, जिससे काम जल्दी, पारदर्शी और सुरक्षित रहेगा.
पुराने नियम और इनसे समस्याएँ
पुराने सिस्टम में संपत्ति के 4% हिस्से के हिसाब से स्टांप शुल्क और 1% रजिस्ट्रेशन फीस
कई बार लाखों रुपये देना पड़ता था
परिवार के सदस्य रजिस्ट्री कराने से कतराते थे
मुकदमा और कोर्ट केस बढ़ रहे थे
राजस्व रिकॉर्ड अपडेट नहीं हो पाते थे.
नए नियम से मिलेंगे ये फायदे
खर्च में भारी कमी
रजिस्ट्री हुई संपत्ति में कानूनी अधिकार स्पष्ट
कोर्ट-कचहरी के विवाद कम होंगे
परिवारों में आपसी सौहार्द बढ़ेगा
फिलहाल बंटवारे की प्रक्रिया इतनी सस्ती कभी नहीं थी
राजस्व रिकॉर्ड अपडेट होंगे, जिससे बाद में कोई कानूनी परेशानी नहीं
शासनादेश व लागू होने की स्थिति
यह नियम कैबिनेट से पास हो चुका है. जल्द ही सर्विस पोर्टल पर शासनादेश जारी होगा और जनता इसका लाभ उठा सकेगी। राज्य मंत्री रवींद्र जायसवाल के अनुसार, शुरुआत में सरकार को कुछ राजस्व नुकसान हो सकता है, लेकिन रजिस्ट्री संख्या बढ़ने से यह नुकसान जल्द पूरा हो जाएगा।
अन्य राज्यों में भी हो चुकी है व्यवस्था
तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसी तरह की व्यवस्था से सकारात्मक परिणाम मिले हैं। उत्तर प्रदेश में भी अब पारिवारिक सौहार्द, कानूनी स्पष्टता व संपत्ति की उपलब्धता में यह बदलाव लाने जा रहा है.
किन शर्तों में छूट नहीं मिलेगी?
यदि बंटवारा कंपनी, ट्रस्ट या फर्म की संपत्ति का हो
अगर सिर्फ नामांतरण या ट्रांसफर है, बंटवारा नहीं
अगर तीन से अधिक पीढ़ियों या कुटुंब सदस्य न हों
संपत्ति के मालिकों का सही दस्तावेज़ न हो
विवादित संपत्ति, कोर्ट केस वाले मामलों में छूट नहीं मिलेगी.
महिलाएँ और संपत्ति का अधिकार
नए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार है। लेकिन अगर पहले ही कानूनी बंटवारा हुआ है तो महिला नया अधिकार नहीं बदल सकती। इसलिए लिखा-पढ़ी व डॉक्यूमेंटेशन बहुत जरूरी है.
क्या है ई-रजिस्ट्री?
सरकार ने रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल कर दी है। अब ऑनलाइन अपॉइंटमेंट, दस्तावेज़ अपलोड, फीस जमा और इलेक्ट्रॉनिक साइन से पूरी प्रोसेस जल्दी पूरी हो जाती है.
Disclaimer: यह लेख पब्लिक डोमेन और सरकारी आदेशों के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत संपत्ति मामलों के लिए विधि विशेषज्ञ या सरकारी पोर्टल की सलाह अवश्य लें। नियम, फीस या प्रक्रिया में बदलाव संभव है।
आग्रह और आपके अमूल्य सुझाव
संपत्ति के सही बंटवारे और कानूनी अधिकार पाने के लिए यह खबर हर परिवार के लिए बेहद उपयोगी है। कृपया इसे अपने रिश्तेदार, मित्र और सोशल मीडिया पर शेयर करें। अपने सवाल, अनुभव और सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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