सम्भल कमेटी ने सीएम योगी को सौंपी रिपोर्ट – जामा मस्जिद विवाद पर नए दावे
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उत्तर प्रदेश की राजनीति और धार्मिक इतिहास से जुड़े विवादित मुद्दों में एक नया मोड़ सामने आया है। सम्भल कमेटी ने हाल ही में अपनी जाँच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सम्भल स्थित जामा मस्जिद परिसर के नीचे कभी एक प्राचीन मंदिर मौजूद था।
हालाँकि, यह दावा ऐतिहासिक साक्ष्यों और पुरातत्व संबंधी दस्तावेजों पर आधारित है या नहीं, इसकी सत्यता पर अभी तक किसी स्वतंत्र संस्था द्वारा अंतिम पुष्टि होना बाकी है। लेकिन इस रिपोर्ट के सामने आने से पूरा मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
इस विवादित मुद्दे का न्यायलय में चल रहा है मुक़ददमा , जानें कब है अगली सुनवाई?
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
सम्भल कमेटी की रिपोर्ट में कथित तौर पर कई अहम बिंदु सामने रखे गए हैं—
✔ मस्जिद परिसर के नीचे मंदिर जैसे पुरातात्विक अवशेषों के संकेत।
✔ शिलालेखों और स्थापत्य शैली में हिंदू मंदिर जैसा आभास।
✔ स्थानीय इतिहासकारों और दस्तावेजों में मंदिर के अस्तित्व का उल्लेख।
रिपोर्ट कमेटी के अनुसार, ये सभी पहलू यह संकेत देते हैं कि वर्तमान जामा मस्जिद का निर्माण संभवतः किसी मंदिर ढांचे पर हुआ था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी रिपोर्ट
विवादित रिपोर्ट को आधिकारिक तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा गया। सूत्रों के अनुसार, अब सीएम कार्यालय इस रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा है और आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगा।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
➡ भाजपा और हिंदू संगठनों ने इस रिपोर्ट को ऐतिहासिक न्याय की दिशा में कदम बताया है।
➡ वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसे राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित रिपोर्ट बताया है।
➡ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में एक बड़ी राजनीतिक बहस का कारण बन सकता है।
पुरातत्व विभाग की भूमिका क्या होगी?
इस तरह के धार्मिक-ऐतिहासिक विवादों में सबसे अहम भूमिका भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) या अन्य वैज्ञानिक संस्थाओं की होती है।
यदि सरकार चाहे तो ASI से इस स्थल की वैज्ञानिक खुदाई और जाँच कराई जा सकती है। केवल तभी इस विषय पर अंतिम प्रमाण सामने आ पाएंगे।
इतिहासकार और विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कुछ इतिहासकारों का दावा है कि यह विषय कोई नया नहीं है; पूर्व में भी इस मस्जिद परिसर की उत्पत्ति पर सवाल उठते रहे हैं।
हालाँकि, कई विद्वान इस बात पर ज़ोर देते हैं कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले वैज्ञानिक प्रमाण और निष्पक्ष जाँच आवश्यक है।
मामला क्यों बना सुर्खियों में?
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यह मुद्दा सीधे तौर पर धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा है।
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अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे विवादों के बाद यूपी में यह नया अध्याय माना जा रहा है।
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जाँच रिपोर्ट का मुख्यमंत्री तक पहुँचना और मीडिया में लीक होना इसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना चुका है।
आगे क्या होगा?
👉 रिपोर्ट को लेकर अब सरकार के सामने कई विकल्प हैं—
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आधिकारिक ASI खुदाई या सर्वे आदेश
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मामले को अदालत के हवाले करना
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रिपोर्ट को फिलहाल अध्ययन स्तर पर रखना
राज्य सरकार किस रास्ते पर चलेगी, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
इस विवादित मुद्दे का न्यायलय में चल रहा है मुक़ददमा, जानें कब है अगली सुनवाई, और क्या है पूरा मामला?
इस विवादित मामले में न्यायालय में चल रहे मुकदमे की स्थिति और अगली सुनवाई के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी इस प्रकार है:
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संभल की शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद की सुनवाई कानूनी प्रक्रिया में जारी है। 25 सितंबर 2025 को इस मामले की अगली सुनवाई निर्धारित है। सुनवाई चंदौसी सिविल कोर्ट में होगी, जहां कमेटी ने अपने दावे और प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए हैं.
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पहले इस मामले की कई सुनवाइयां हुई हैं, जिनमें मुस्लिम पक्ष की याचिका के कारण सुनवाई में देरी भी हुई है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इसलिए लोअर कोर्ट में सुनवाई नहीं होनी चाहिए। इस कारण सुनवाई 28 अगस्त तक टाल दी गई थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में आदेश दिया है कि यथास्थिति बनाए रखी जाए, यानी किसी भी तरह का बदलाव न किया जाए, जब तक कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इससे इस विवाद पर और ज्यादा विवादास्पद स्थिति बनी हुई है.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी मामले की कई सुनवाई हुई हैं, जिसमें यह तय होना है कि संभल की जिला अदालत में मस्जिद के सर्वे का केस चलेगा या नहीं। हाईकोर्ट ने पहले सिविल कोर्ट के सर्वे आदेश पर रोक लगाई है, लेकिन इस रोक को हटाने के लिए भी सुनवाई जारी है.
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विवाद की गंभीरता तब जाहिर हुई जब 24 नवंबर 2024 को मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में 5 लोगों की मौत हुई और पुलिस कर्मी घायल हुए। इसके बाद सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और मामले की जांच एसआईटी कर रही है.
इस सबकी जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि इस मुद्दे पर न्यायालय की सुनवाई 25 सितंबर 2025 को अगली बार होगी, जिसमें कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट और सभी पक्षों के दावे सुने जाएंगे। मामले का न्यायिक समाधान मिलने में अभी समय लग सकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी इस पर निगरानी बनाए हुए है।
अगर इस मामले की पूरी गहराई से जानकारी चाहिए तो संबंधित कोर्ट के नोटिस और अधिकारिक दस्तावेज़ों को इंतजार करना होगा।
Disclaimer (आवश्यक)-यह लेख केवल समाचार-आधारित, सूचनात्मक और सार्वजनिक चर्चा में उपलब्ध रिपोर्ट्स पर आधारित है। यहाँ प्रस्तुत जानकारी की स्वतंत्र पुष्टि अभी बाकी है। हम किसी भी धार्मिक या ऐतिहासिक दावे की अंतिम पुष्टि नहीं करते।
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