कुण्डमाला पुल हादसा
(पुणे के इंद्रायणी नदी पर फुटब्रिज ढहने की दर्दनाक कहानी)
आगामी मानसून में पर्यटन स्थलों पर जनसमूह की बढ़ी भीड़ और पुरानी संरचनाओं की अनदेखी कई बार मानव-मृत्यु का कारण बनती है। आज हम पुणे जिले के कुण्डमाला (मावल तहसील) में 15 जून 2025 को हुए इंद्रायणी नदी पर बने फुटब्रिज (पैदल पुल) के भयावह गिरने की घटना का सम्पूर्ण विवरण प्रस्तुत करते हैं, जैसा कि “दिमाग की उपज” हो।
1. घटना का समय, स्थान और प्रारंभिक हालात
दिनांक-दिन: 15 जून 2025, रविवार दोपहर लगभग 3:30 बजे IST।
स्थान: फोन Pune – Talegaon Dabhade से लगभग 40 कि.मी दूर कुण्डमाला, जो इंद्रायणी नदी और यह पुराना फुटब्रिज दोनों पर्यटकों में काफी लोकप्रिय था।
पारिस्थितिक परिस्थिति: पिछली भारी बारिशों के कारण नदी का जलस्तर और प्रवाह तीव्र हो चुका था, जिससे पुल पर दबाव बना। हादसे के समय मौसम शांत था, लेकिन नदी का जल मंदा नहीं हुआ था ।
1.1भीड़ और प्रतिबंधों का उल्लंघन
पुल केवल पैदल यात्रियों के लिए था, लेकिन इसके बावजूद उस समय 100+ लोग, 7–8 मोटरसाइकिल समेत अनेक दोपहिया वाहन पुल पर मौजूद थे, जिससे अधिक भार उत्पन्न हुआ।
प्रशासन द्वारा “खतरे में है”, “बारिश के दौरान बंद” जैसी चेतावनी बोर्ड लगाये गए, और शिकायतों के बाद पुलिस भी तैनात रही, लेकिन प्रभावी निरीक्षण-नियंत्रण की कमी थी ।
2. पुल क्यों गिरा? – संभावित कारण
2.1 वृद्धावस्था और संक्षारण (Rust)
स्ट्रक्चर लगभग 30 वर्षों पुराना था (निर्मित वर्ष: लगभग 1990–93) ।
लोहे और सीमेंट से निर्मित हिस्सों में संक्षारण (rust) और ढीलापन समय के साथ बढ़ गया था, जिसका आधिकारिक रूप में भी संज्ञान नहीं लिया गया ।
2.2 सुरक्षा निरीक्षण का अभाव
विगत दो से तीन वर्षों में संरचनात्मक ऑडिट नहीं कराया गया, न ही कोई मरम्मत की गई थी ।
रहने–ही रहने वाला जर्जर परिस्थिति जारी रहने का असर साफ दिखा।
2.3 भीड़ और अधिभार
पुल का चौड़ाई मात्र 4 फीट (1.2 मीटर) थी, जबकि उस पर सौ से अधिक लोगों और कई दोपहिया वाहनों का भार था।
भीड़ ने संभवतः पुल की क्षमता की सीमा पार कर दी।
2.4 रासायनिक और पर्यावरणीय दबाव
तेज बहाव के कारण पुल में लगने वाले साइड-इम्पैक्ट और जल-क्षरण (erosion) ने स्ट्रक्चर को कमजोर किया।
3. हादसे का भयावह दृश्य और तुरंत बचाव कार्य
विवरण: अचानक पुल एक हिस्से में धराशायी हो गया; लोग नदी में गिरने लगे और कई बर्फ़ीले पानी के तेज प्रवाह में बहाए गए।
Eyewitnesses की आवाज़ें:
“पुल 5 मिनट तक हिल रहा था…वो गिर गया.”
“यह घटना हुई तभी जब पुल के बीच पर लोग सेल्फी लेने गए थे”।
राहत-जांच टीमें:
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), फायर ब्रिगेड, स्थानीय पुलिस, ग्रामीण वॉलंटियर्स और जिला प्रशासन ने मिलकर बचाव कार्य शुरू किया।उपकरण: क्रेन, बोट, कटिंग उपकरण, रस्सी, चिकित्सा प्राथमिक सहारा, इत्यादि का उपयोग किया गया ।
4. मानवीय और पेडागोजिकल परिणाम
4.1 हताहतों का आँकड़ा
श्रेणी | संख्या |
---|---|
मृतक | 4 (जिसमें एक 5साल का बच्चा भी शामिल) |
गंभीर रूप से घायल | 8 व्यक्ति |
कुल घायल | लगभग 50–51 (32, 38 आदि रिपोर्ट्स भी मिली) |
4.2 बचाए गए लोग
करीब 50–55 लोग राहत दल द्वारा तैरकर या बाहर खींचकर बचाये गए ।
6–8 की हालत गंभीर बनी रही, बाक़ी को स्थिर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया ।
5. प्रशासनिक प्रतिक्रिया और घोषणाएँ
5.1 मुआवजा और चिकित्सा सहायता
महाराष्ट्र के CM Devendra Fadnavis ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख के मुआवजे का ऐलान किया; घायलों का इलाज जिला प्रशासन करेगी।
5.2 जांच समिति गढ़ी गई
जिले के कलेक्टर Jitendra Dudi ने एक 5-सदस्यीय जांच समिति गठित की जो 15 दिनों में रिपोर्ट देगी; इसके अध्यक्ष अतिरिक्त कलेक्टर होंगे।
एसओपी में सुधार, जिम्मेदारी तयकरण और भविष्य की योजना पर ध्यान दिया जाएगा।
5.3 उच्चस्तरीय आश्वासनों की बौछार
CM, PM Modi और गृह मंत्री Amit Shah ने हादसे की गंभीरता पर विचार रखते हुए तत्काल राहत तथा जांच के निर्देश दिए।
Deputy CM Ajit Pawar ने जर्जर पुलों की structural audit की मांग की; दोषियों की गिरफ्तारी पर भी बल दिया।
6. भूत‑कालीन संकेत और विश्वसनीय रिकॉर्ड
स्थानीय चेतावनियाँ: ग्राम पंचायत, PWD–Zilla Parishad आदि द्वारा “खतरे में है” चेतावनी लगाई गई, पर प्रभावी पालन न हुआ ।
जनहानि की पुरानी घटनाएँ:
पुलों की structural failure की चेतावनी 2022‑Gujarat दर्दनाक आयोग जैसी घटनाओं से पहले भी सामने आई थी।आंकड़ेमुक्त बोलें:
पुल की चौड़ाई मात्र 4 फीट थी – एक मोटरसाइकिल व दो‑तीन पैदल यात्री के लिए अनुकूल, लेकिन उस समय कई वाहनों सहित भारी भीड़ थी।
7. भविष्य की राह – सुधार व रणनीति
7.1 पुल-बदलने और structural audit
अनुमोदित नया पुल: ₹8 करोड़ की परियोजना स्वीकृत है; बारिश के बाद जल्द निर्माण शुरू होगा।
अन्य पुलों की जांच: राज्य सरकार ने पुराने पुलों की structural audit अनिवार्य की घोषणा की ।
7.2 SOP और भीड़ नियंत्रण
पर्यटन स्थलों पर भीड़-नियंत्रण, चेतावनी बोर्ड, पुलिस-तैनाती और Bewilderment के लिए clear SOP बनाने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया व स्थानीय प्रशासन से public awareness अभियान की आवश्यकता है।
7.3 आपदा प्रबंधन संरचना सुदृढ़ीकरण
NDRF, SDRF, फायर ब्रिगेड आदि का coordination स्पष्ट करने की जरूरत।
क्विक रिस्पॉन्स टीम, क्रेन, बांध परियोजनाएँ पहले से तैयार रखनी चाहिए।
8. निष्कर्ष
पुणे-तालेगांव का इंद्रायणी नदी का फुटब्रिज हादसा एक परिजन निमार्ण दोष, उम्र के साथ सुलझित लापरवाही और भारी भीड़ के संयोजन के कारण हुआ। इस दुर्घटना ने स्पष्ट कर दिया कि पुराने इन्फ्रास्ट्रक्चर की अनदेखी, चेतावनी और बंदी के बावजूद निष्क्रिय रवैयों से भयावह परिणाम हो सकते हैं।
भविष्य में समान घटनाओं को टालने के लिए समग्र दृष्टिकोण, नियमानुसार निगरानी, उपयोग—योग्य निर्माण, और जन-जागरूकता अनिवार्य है।
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अन्य स्रोत से न्यूज़ – NDTV REPORT
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