“Kubera” फिल्म रिव्यू: धन, सत्ता और धोखे की नई परिभाषा

Kubera

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🎬 Kubera फिल्म रिव्यू: धन और पाप की भयंकर टक्कर

सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं है, यह समाज की धड़कनों को सुनाने का माध्यम भी है। 2025 की बहुप्रतीक्षित फिल्म “Kubera” ने इस बात को बखूबी साबित कर दिया है। फिल्म का शीर्षक ‘कुबेर’ – जो कि हिंदू धर्म में धन के देवता हैं – अपने आप में ही संकेत देता है कि यह फिल्म केवल पैसे की भूख की कहानी नहीं, बल्कि मानव की लालसा, नैतिकता और सत्ता के संग्राम की भी बात करती है।

इस रिव्यू में हम आपको बताएंगे:


📖 फिल्म की कहानी

फिल्म “Kubera” एक रहस्यमयी अंडरवर्ल्ड बैकग्राउंड पर आधारित है। कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जो गरीबी और संघर्ष से निकलकर धन और ताकत की दुनिया में कुबेर बनने की ख्वाहिश रखता है – लेकिन इस सफर में वह क्या खोता है और क्या पाता है, यही फिल्म का मूल है।

मुख्य किरदार (धनुष) एक मध्यमवर्गीय बस्ती में रहने वाला इंसान है जो शुरुआत में गरीब और ईमानदार है। हालातों के थपेड़े उसे अपराध की दुनिया में ले जाते हैं। यहीं से शुरू होता है उसका सफर – एक इंसान से “कुबेर” बनने तक।

फिल्म में एक बड़ा टर्न तब आता है जब वह राजनीति और व्यापार के जाल में फंसकर खुद को उन लोगों से अलग नहीं कर पाता, जिनसे वह कभी नफरत करता था।


🎭 अभिनय: परफॉर्मेंस की परीक्षा

🌟 धनुष – एक बार फिर साबित किया कि वह मास्टरक्लास एक्टर हैं।

👩‍💼 रश्मिका मंदाना – सपोर्टिंग रोल में भी चमकीं।

🎭 जगपति बाबू – विलेन के रोल में दमदार।


🎬 निर्देशन: Sekhar Kammula की मास्टर स्टोक

Sekhar Kammula ने इस बार अपने सॉफ्ट इमोशनल टच से हटकर पूरी तरह एक डार्क और थ्रिलिंग मूड में फिल्म बनाई है। निर्देशन में एक खास तरह की गहराई और परिपक्वता नजर आती है।


🎼 संगीत और बैकग्राउंड स्कोर


🎥 सिनेमैटोग्राफी और लोकेशंस


❌ फिल्म की कमजोर कड़ियाँ


✅ क्या यह फिल्म देखनी चाहिए?

बिलकुल। अगर आप थ्रिलर, ड्रामा, पॉलिटिक्स और एक मजबूत कहानी वाली फिल्म देखना चाहते हैं जिसमें अभिनय, म्यूजिक और डायरेक्शन सब कुछ टॉप क्लास हो, तो “Kubera” आपके लिए एक must-watch है।

यह फिल्म न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है – क्या हर “कुबेर” वाकई में पूजनीय होता है?


🎞️ OTT और थिएटर अपडेट


🌐 सोशल मीडिया रिएक्शन


📌 निष्कर्ष

“Kubera” सिर्फ एक फिल्म नहीं, यह एक आइना है उस समाज का जहां पैसे की भूख रिश्तों, नैतिकता और इंसानियत को निगल जाती है। एक आम आदमी से धन, सत्ता और अपराध की दुनिया में प्रवेश करने वाले व्यक्ति की इस यात्रा को देखना एक सिनेमाई अनुभव से कहीं ज्यादा है।


⚠️ DISCLAIMER:

यह लेख केवल रिव्यू और जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें प्रस्तुत विचार लेखक के निजी अनुभव और विश्लेषण पर आधारित हैं। यह किसी प्रकार की व्यावसायिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत राय नहीं है। दर्शकों से अनुरोध है कि वे फिल्म को स्वयं देखकर अपने निष्कर्ष निकालें।


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