गणेश चतुर्थी 2025: 16 पारंपरिक पूजा विधि से पाएं वरदान
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भारतीय संस्कृति का सबसे प्रिय त्योहार गणेश चतुर्थी 2025 आने वाला है। विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा का सही तरीका जानना अत्यंत आवश्यक है। गणेश चतुर्थी पूजा विधि के 16 पारंपरिक चरण न केवल आध्यात्मिक लाभ देते हैं बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी लाते हैं। आइए जानते हैं षोडशोपचार की संपूर्ण विधि।
गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि और महत्व
कब है गणेश चतुर्थी 2025?
इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पावन त्योहार 30 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त:
पूजा का समय: सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक
प्राणप्रतिष्ठा: प्रातःकाल 6:00 से 8:00 बजे तक
आरती समय: सूर्यास्त के समय (शाम 7:00 बजे)
गणपति पूजा का धार्मिक महत्व
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है:
विघ्न निवारण: सभी बाधाओं का नाश
बुद्धि और ज्ञान प्राप्ति
धन-संपत्ति में वृद्धि
सुख-शांति का आगमन
मनोकामना पूर्ति
षोडशोपचार पूजा विधि: 16 पारंपरिक चरण
प्रारंभिक तैयारी
गणेश चतुर्थी पूजा विधि शुरू करने से पहले निम्नलिखित सामग्री एकत्रित करें:
पूजा सामग्री सूची:
गणेश जी की मूर्ति या चित्र
कलश और जल
रोली, चावल, हल्दी
पुष्प माला और बेलपत्र
धूप, दीप और कपूर
नारियल और सुपारी
मिठाई (मोदक विशेष रूप से)
पान के पत्ते
रुद्राक्ष या तुलसी की माला
पहला चरण – आवाहन (गणेश चतुर्थी पूजा विधि)
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का पहला चरण आवाहन है:
मंत्र: "गं गणपतये नमः"
"आगच्छ देव गणेश स्थापितोऽसि मया सदा।
पूजां गृहाण भगवन् कल्याणाय महागणे॥"
आवाहन की विधि:
पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें
हाथों में अक्षत लेकर मूर्ति पर छिड़कें
भगवान गणेश को आमंत्रित करने का मंत्र बोलें
मन में विनती करें कि गणपति बप्पा आपके घर पधारें
दूसरा चरण – आसन (पूजा स्थान की स्थापना)
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में आसन का विशेष महत्व:
लाल कपड़े पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें
मूर्ति के नीचे चावल फैलाएं
सुंदर आसन पर विराजमान करें
फूलों से सजाएं
तीसरा चरण – पाद्य (चरण धुलाई)
पावन गणेश चतुर्थी पूजा विधि में पाद्य अर्पण:
मंत्र: "पादयोः पाद्यं समर्पयामि"
तांबे के बर्तन में जल लें
गुलाब जल मिलाएं
मूर्ति के चरणों में अर्पित करें
आदर के साथ यह क्रिया करें
चौथा चरण – अर्घ्य (हाथ धुलाई)
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का अर्घ्य चरण:
दूध, दही, घी, शहद, चीनी का पंचामृत बनाएं
केसर और इलायची मिलाएं
भगवान के हाथों में अर्पित करें
पवित्र भावना से करें
पांचवां चरण – आचमन (मुख शुद्धि)
पारंपरिक गणेश चतुर्थी पूजा विधि में आचमन:
मंत्र: "आचमनार्थे जलं समर्पयामि"
शुद्ध जल में तुलसी पत्र डालें
चांदी के चम्मच से अर्पित करें
तीन बार यह प्रक्रिया दोहराएं
छठा चरण – स्नान (अभिषेक)
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का सबसे महत्वपूर्ण चरण:
अभिषेक सामग्री:
गंगाजल या शुद्ध जल
दूध और दही
शहद और घी
फलों का रस
नारियल पानी
अभिषेक विधि:
सबसे पहले जल से स्नान कराएं
फिर दूध से अभिषेक करें
शहद और घी से आराधना करें
अंत में पुनः जल से स्नान कराएं
सातवां चरण – वस्त्र अर्पण
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में वस्त्र का महत्व:
पीले या लाल रंग का वस्त्र चढ़ाएं
रेशमी कपड़ा सबसे उत्तम
जनेऊ भी अर्पित करें
मूर्ति को सुंदर ढंग से सजाएं
आठवां चरण – यज्ञोपवीत (जनेऊ)
पवित्र गणेश चतुर्थी पूजा विधि में यज्ञोपवीत:
मंत्र: "यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं"
नया जनेऊ अर्पित करें
दाएं कंधे से बाएं बगल तक पहनाएं
पवित्रता का प्रतीक है
नौवां चरण – गंध (चंदन-हल्दी)
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में गंध अर्पण:
चंदन का लेप:
शुद्ध चंदन को गुलाब जल में घिसें
हल्दी और केसर मिलाएं
मूर्ति के माथे पर तिलक लगाएं
सुगंधित द्रव्य अर्पित करें
दसवां चरण – पुष्प अर्पण
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का सुंदर चरण:
विशेष पुष्प:
लाल गुलाब – प्रेम का प्रतीक
गेंदा – समृद्धि के लिए
जास्मिन – पवित्रता हेतु
हिबिस्कस – शक्ति के लिए
दूर्वा घास – विशेष महत्व
मंत्र: "एतानि पुष्पाणि सुगन्धीनि च।
गृहाण देव गणेश नमोऽस्तु ते॥"
ग्यारहवां चरण – धूप अर्पण
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में धूप का महत्व:
गुग्गुल धूप सर्वोत्तम
चंदन की धूप भी शुभ
मूर्ति के चारों ओर धूप घुमाएं
सुगंध से वातावरण को पवित्र करें
बारहवां चरण – दीप प्रज्वलन
पारंपरिक गणेश चतुर्थी पूजा विधि में दीप:
दीप की विधि:
घी या तिल के तेल का दीप जलाएं
पांच बत्ती का दीप सर्वोत्तम
आरती के समय हिलाएं
अंधकार नाश का प्रतीक
मंत्र: "दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं सन्ध्या दीप नमोऽस्तु ते॥"
तेरहवां चरण – नैवेद्य अर्पण
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का स्वादिष्ट चरण:
विशेष नैवेद्य:
मोदक – गणेश जी का प्रिय भोजन
लड्डू – मिठास के लिए
खीर – दूध से बना
पूरी-सब्जी – मुख्य भोजन
फल – मौसमी फल
नैवेद्य मंत्र:
"नैवेद्यं गृहाण देव प्रसादम् कुरु सर्वदा।
अन्नदाता भव सदा गणेश नमोऽस्तु ते॥"
चौदहवां चरण – ताम्बूल (पान-सुपारी)
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में पान का महत्व:
ताजे पान के पत्ते लें
सुपारी और लौंग रखें
मूर्ति के सामने रखें
सम्मान का प्रतीक है
पंद्रहवां चरण – दक्षिणा अर्पण
पवित्र गणेश चतुर्थी पूजा विधि में दक्षिणा:
सोने या चांदी का सिक्का अर्पित करें
श्रद्धानुसार राशि रखें
ब्राह्मण दक्षिणा भी दें
दान का महत्व समझें
सोलहवां चरण – आरती और प्रार्थना
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का अंतिम चरण:
गणेश आरती
"जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥"

मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना
विघ्न निवारण की विनती
परिवार की सुख-शांति
धन-संपत्ति की वृद्धि
गणेश चतुर्थी के दिन विशेष नियम
गणेश चतुर्थी पूजा विधि के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:
करने योग्य कार्य:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
साफ-सुथरे कपड़े पहनें
मन में पवित्र भावना रखें
व्रत रखने की कोशिश करें
दान-पुण्य का कार्य करें
न करने योग्य कार्य:
मांस-मदिरा का सेवन न करें
झूठ और अपशब्द न बोलें
किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें
नकारात्मक विचार न रखें
गणपति विसर्जन की विधि
गणेश चतुर्थी पूजा विधि के बाद विसर्जन:
विसर्जन के प्रकार:
एक दिन (एकदंत) – अगले दिन विसर्जन
तीन दिन – तृतीया तक
पांच दिन – पंचमी तक
सात दिन – सप्तमी तक
ग्यारह दिन – एकादशी तक (सबसे शुभ)
विसर्जन मंत्र:
"गणपति बप्पा मोरया, पुढ़च्या वर्षी लवकर या।
मंगलमूर्ति मोरया, पुढ़च्या वर्षी लवकर या॥"
आधुनिक समय में पर्यावरण सुरक्षा
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में पर्यावरण चेतना:
इको-फ्रेंडली उपाय:
मिट्टी की मूर्ति का प्रयोग करें
प्राकृतिक रंगों का उपयोग
प्लास्टिक डेकोरेशन से बचें
घर में ही विसर्जन करें
पौधे लगाएं मूर्ति के स्थान पर
गणेश चतुर्थी के स्वास्थ्य लाभ
गणेश चतुर्थी पूजा विधि के वैज्ञानिक फायदे:
मानसिक स्वास्थ्य:
तनाव में कमी
मन की शांति
सकारात्मक ऊर्जा
एकाग्रता में वृद्धि
सामाजिक लाभ:
पारिवारिक एकता
सामुदायिक भावना
सांस्कृतिक संरक्षण
धार्मिक शिक्षा
राज्यवार गणेश उत्सव की परंपरा
गणेश चतुर्थी पूजा विधि की विविधता:
महाराष्ट्र:
लालबागचा राजा प्रसिद्ध
सार्वजनिक उत्सव की परंपरा
मोदक की विशेष तैयारी
ढोल-ताशे के साथ जुलूस
कर्नाटक:
मिट्टी की मूर्ति प्राथमिकता
कन्नड़ भजन और कीर्तन
उडुपी स्टाइल मोदक
पारंपरिक संगीत
तमिलनाडु:
विनायक चतुर्थी नाम से प्रसिद्ध
कोझुकट्टै (तमिल मोदक)
कर्नाटक संगीत के साथ आरती
केले के पत्ते में भोग
बच्चों के लिए विशेष गतिविधियां
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में बच्चों की भागीदारी:
शैक्षिक गतिविधियां:
गणेश कहानियां सुनाना
रंगोली बनाना सिखाना
मोदक बनाने में मदद
मंत्र उच्चारण सिखाना
हस्तकला की गतिविधियां
महिलाओं के लिए विशेष उपाय
गणेश चतुर्थी पूजा विधि में महिलाओं की भूमिका:
पारंपरिक जिम्मेदारियां:
घर की सफाई और सजावट
पूजा सामग्री की व्यवस्था
भोग-प्रसाद की तैयारी
परिवारजनों को पूजा सिखाना
मेहमानों का स्वागत
व्यापारिक महत्व और आर्थिक प्रभाव
गणेश चतुर्थी पूजा विधि का आर्थिक पहलू:
बाजार पर प्रभाव:
मूर्तिकारों को रोजगार
मिठाई व्यापार में तेजी
फूल और पूजा सामग्री की बिक्री
सजावटी सामान की मांग
परिवहन सेवाओं में वृद्धि
डिजिटल युग में गणेश उत्सव
आधुनिक गणेश चतुर्थी पूजा विधि:
टेक्नोलॉजी का उपयोग:
ऑनलाइन दर्शन की सुविधा
डिजिटल आरती और भजन
व्हाट्सएप पर शुभकामनाएं
यूट्यूब पर पूजा विधि
सोशल मीडिया पर फोटो शेयर
गणेश चतुर्थी के व्रत नियम
गणेश चतुर्थी पूजा विधि के साथ व्रत:
व्रत के प्रकार:
निर्जला व्रत – बिना जल के
फलाहार व्रत – केवल फल
एक समय भोजन – दिन में एक बार
सात्विक आहार – शुद्ध भोजन
व्रत के फायदे:
शारीरिक शुद्धता
मानसिक एकाग्रता
आत्म-संयम का विकास
आध्यात्मिक उन्नति
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी पूजा विधि के ये 16 पारंपरिक चरण न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि जीवन में सकारात्मकता भी लाते हैं। षोडशोपचार पूजा की यह विधि सदियों से चली आ रही परंपरा है जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
गणेश चतुर्थी 2025 में इन नियमों का पालन करके आप भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। Bharati Fast News की टीम आपको इस पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देती है।
गणपति बप्पा मोरया! मंगलमूर्ति मोरया!
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गणपति बप्पा की कृपा आप सभी पर बनी रहे!
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Disclaimer: यह जानकारी पारंपरिक धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों की सलाह पर आधारित है। व्यक्तिगत मान्यताओं और स्थानीय परंपराओं के अनुसार पूजा विधि में बदलाव हो सकते हैं। किसी विशेष समस्या के लिए योग्य पंडित या धर्मगुरु से सलाह अवश्य लें।
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