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चुनाव आयोग की सख्ती: 334 पार्टियां बाहर, अब सिर्फ 67 क्षेत्रीय दल

सियासी सफाई: 334 पार्टियों की मान्यता खत्म, 67 ही रही क्षेत्रीय ताकत

info@bharatifastnews.com by [email protected]
August 16, 2025
in Political News, National News
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चुनाव आयोग की सख्ती: 334 पार्टियां बाहर, अब सिर्फ 67 क्षेत्रीय दल

Bharati Fast News – तेज़ खबरें, सच्ची खबरें – यही है भारती फास्ट न्यूज़

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चुनाव आयोग का ऐतिहासिक फैसला

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भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने देश की राजनीतिक प्रणाली में ऐतिहासिक सफाई अभियान चलाते हुए 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) का रजिस्ट्रेशन एक साथ रद्द कर दिया है। यह कदम भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता व निष्पक्षता को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है। देश में अब कुल 6 राष्ट्रीय पार्टियां और केवल 67 क्षेत्रीय पार्टियां ही मान्यता प्राप्त बचीं हैं।

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  • चुनाव आयोग की सख्ती: 334 पार्टियां बाहर, अब सिर्फ 67 क्षेत्रीय दल
            • Bharati Fast News – तेज़ खबरें, सच्ची खबरें – यही है भारती फास्ट न्यूज़
    • चुनाव आयोग का ऐतिहासिक फैसला
    • कार्रवाई की वजह और कानूनी आधार
      • कार्रवाई की प्रक्रिया
    • ताजा आंकड़े: अब कितने दल?
    • क्यों जरूरी थी यह कार्रवाई?
      • सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की रणनीति
    • क्षेत्रीय दलों की भूमिका और लोकतंत्र पर असर
    • आम नागरिक और मतदाताओं के लिए इसका मतलब
    • पारदर्शिता और अच्छा प्रशासन
    • निष्कर्ष – लोकतंत्र में साफ-सफाई जरूरी
          • Disclaimer: यह लेख विभिन्न समाचार एजेंसियों, वेबसाइट्स और चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी केवल सूचना और जागरूकता के लिए है, किसी भी वैधानिक या कानूनी दावे के लिए संबंधित विभाग/अधिकारियों से पुष्टि अवश्य करें।
    • आग्रह और आपके अमूल्य सुझाव
          • इस पोस्ट से सम्बंधित अन्य ख़बर- Election Commission delists 334 political parties for failing to contest elections since 2019
          • Bharati Fast News पर यह भी देखें– बांके बिहारी कॉरिडोर: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गोस्वामियों में जश्न
          •  👇 नीचे कमेंट करें और हमें बताएं कि आप क्या सोचते हैं।

कार्रवाई की वजह और कानूनी आधार

  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत चुनाव आयोग राजनीतिक दलों का पंजीकरण करता है। इसके मुताबिक, हर पार्टी को अपना नाम, पता, और पदाधिकारियों की जानकारी देनी होती है। किसी भी बदलाव की सूचना आयोग को देना जरूरी है।

  • चुनाव आयोग के नियम साफ कहते हैं—अगर कोई पार्टी लगातार 6 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसका पंजीकरण रद्द हो सकता है।


कार्रवाई की प्रक्रिया

  • जून 2025 में ECI ने राज्यों/केंद्रो के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को 345 दलों की जांच के निर्देश दिए।

  • दलों को कारण बताओ नोटिस जारी कर व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया गया।

  • 334 दल शर्तों का पालन न कर सके—या तो वे चुनाव में सक्रिय नहीं थे या उनका कार्यालय ही नहीं मिला।

  • आयोग ने सभी रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर इन 334 दलों का पंजीकरण रद्द कर दिया।

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ताजा आंकड़े: अब कितने दल?

श्रेणीसंख्या
राष्ट्रीय पार्टी6
क्षेत्रीय पार्टी67
बाकी RUPPs*2,520

(*Registered but Unrecognised Political Parties)

  • पहले देश में कुल 2,854 गैर-मान्यता प्राप्त दल थे; अब यह संख्या 2,520 है।

  • जल्दी-जल्दी चुनाव न लड़ने या अधिनियम के प्रावधान न मानने वाले दलों को हटाने का यह अभियान 2001 के बाद से कई बार चलाया जा चुका है।

क्यों जरूरी थी यह कार्रवाई?

  • चुनावी पारदर्शिता और एक मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि सिर्फ सक्रिय, नियमों का पालन करने वाले दल ही राजनीति में बने रहें।

  • बहुत से पुराने या अप्रचलित दल सिर्फ नाम के लिए रजिस्टर्ड रहते थे, जिनका चुनाव या राजनीति में कोई सीधा योगदान नहीं था।

  • कई मामलों में इन दलों का दुरुपयोग—जैसे टैक्स छूट, काले धन की सफाई, राजनीतिक फंडिंग की अपारदर्शिता—की संभावनाएं भी सामने आई थीं।


सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की रणनीति

  • सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को पार्टियों की ‘डीरिकग्निशन’ से बचने की सलाह दी थी, इसलिए आयोग ने ‘डीलिस्टिंग’ की रणनीति अपनाई।

  • डीलिस्टेड दल भविष्य में फिर से सक्रिय होकर आवश्यक दस्तावेज और नियम पूरे कर वापस लिस्ट में आ सकते हैं।


क्षेत्रीय दलों की भूमिका और लोकतंत्र पर असर

  • भारत का चुनावी तंत्र क्षेत्रों, भाषाओं और विचारों की विविधता से समृद्ध है। क्षेत्रीय पार्टियां स्थानीय मुद्दों और पहचान को राजनीति के केंद्र में लाती हैं।

  • इनके सक्रिय व मजबूत होने के चलते केंद्र-राज्य संबंधों और संघीय ढांचे को मजबूती मिलती है।

  • अब सिर्फ 67 क्षेत्रीय दल रह जाने से देश की राजनीति में असली, जमीनी मुद्दों पर चर्चा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।


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आम नागरिक और मतदाताओं के लिए इसका मतलब

  • मतदाता केवल उन्हीं दलों में से चुन सकेंगे जिनका चुनावी और राजनीतिक गतिविधियों में प्रमाणित योगदान है।

  • काले धन, अवैध गतिविधियों और फर्जी संस्थाओं की राजनीति को रोकने में मदद मिलेगी।

  • चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर ऐसी कड़ी कार्रवाई, बाकी दलों को नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगी।


पारदर्शिता और अच्छा प्रशासन

  • पारदर्शिता से चुनाव प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ती है।

  • सिर्फ सक्रिय और ‘असली’ दलों के चुनावी मैदान में होने से प्रशासन और लोकतंत्र की गुणवत्ता बेहतर होती है।


निष्कर्ष – लोकतंत्र में साफ-सफाई जरूरी

334 पार्टियों की मान्यता रद्द करना सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में मजबूत पहल है। अब वक्त है कि बची क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियां जनता के मुद्दों पर गहन काम करें।


Disclaimer: यह लेख विभिन्न समाचार एजेंसियों, वेबसाइट्स और चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी केवल सूचना और जागरूकता के लिए है, किसी भी वैधानिक या कानूनी दावे के लिए संबंधित विभाग/अधिकारियों से पुष्टि अवश्य करें।

आग्रह और आपके अमूल्य सुझाव

प्रिय पाठकों,
भारती फास्ट न्यूज़ परिवार की ओर से आपका धन्यवाद। अगर आपको यह रिपोर्ट उपयोगी लगी, तो कृपया इसे शेयर करें, और अपने सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में दें।
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Tags: #ChunavAayog#ECI#ElectionCommission#IndianElections#RegionalParties#क्षेत्रीयदल#चुनाव_आयोग#दल_मान्यता#राजनीतिकदलIndianPolitics

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